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Kubota Agricultural Machinery India has always been committed to providing machines with excellent tractor specifications and at an affordable Kubota tractor price, in order to provide high-quality machinery which supports easy and efficient farming. विश्व बैंक से ली जाएगी मदद, एक महीने में तैयार होगी रिपोर्टचंबल के बीहड़ों का नाम सुनते ही हमारे जहन में चंबल के डाकूओं की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। चंबल के बीहड़ पहले इसी के लिए मशहूर थे। यहां पर डाकूओं का बसैरा हुआ करता था। इन चंबल के बीहड़ों की पहुंच पहले डाकूओं तक ही थी और इस पर कई फिल्में भी बनी।पर अब समय के साथ-साथ न तो डाकू रहे और न ही इन डाकूओं का अब यहां बसैरा है। अब यह इलाका पूरी तरह शांत है। इस इलाके की अधिकांश भूमि उबड़-खाबड़ है जो कृषि योज्य नहीं है लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा दिए गए वक्तव्य में इस इलाके को कृषि योज्य बनाने की बात कही गई है जो निश्चय ही इन बीहड़ों को हराभरा करने की एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।क्या है योजनाकेंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मीडिया में दिए अपने वक्तव्य में बताया कि मध्य प्रदेश के ग्लावियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ इलाकों में जल्द फसलें लहलहाएंगी। केन्द्र सरकार इस इलाके को खेती योग्य बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में शुरुआती रिपोर्ट एक महीने में तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट तैयार होने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।विश्व बैंक करेगा इस परियोजना में मददइस परियोजना के लिए विश्व बैंक से मदद ली जाएगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विश्व बैंक के प्रतिनिधि आदर्श कुमार के साथ वर्चुअल बैठक में यह फैसला हो चुका है। कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने का इच्छुक है। इससे इस परियोजना को पूरा करने में सहयोग लिया जाएगा।तीन लाख हेक्टेयर से अधिक उबड़ - खाबड़ जमीन में सुधार की आवश्यकतातोमर ने इस आनलाइन बैठक में कहा कि अभी तीन लाख हेक्टेयर से अधिक उबड़-खाबड़ जमीन खेती योग्य नहीं है। यदि इस क्षेत्र में सुधार किया जाता है, तो इससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ों के एकीकृत विकास में मदद मिलेगी। तोमर ने कहा कि इस परियोजना से सिर्फ कृषि विकास और पर्यावरण सुधार में ही मदद नहीं मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे जिससे क्षेत्र का उल्लेखनीय विकास होगा। तोमर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ों में विकास की काफी गुंजाइश है।इस इलाके में चंबल एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा। कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित परियोजना पर काम शुरू करने से पहले प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, पूंजी लागत और निवेश जैसे सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा। उसके बाद न्यूनतम बजट आवंटन के साथ परियोजना पर काम शुरू होगा। बैठक में भाग लेते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के के सिंह ने कहा कि पुरानी परियोजना का पुनरूद्धार किया गया है और इसे कृषि मंत्री के निर्देशन में आगे बढ़ाया जाएगा।अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।एक करोड़ से ज्यादा किसानों को सस्ते लोन मंजूर, केसीसी कार्ड धारकों को फायदाड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्र अपनाएं, पानी बचाएं, उत्पादन बढ़ाएंवर्तमान में देश के अधिकांश राज्यों में जल स्तर बहुत नीचे जा चुका है। इससे हर तरफ पानी की कमी होने लगी है। इसका प्रभाव कृषि के क्षेत्र पर भी पड़ा है। पानी की कमी के कारण कई किसानों ने धान की खेती करना ही छोड़ दिया है और अन्य कम पानी में उगने वाली फसलों की तरफ अपना रूख कर लिया है क्योंकि धान की फसल उगाने में सबसे ज्यादा पानी खर्च होता है जो किसान के लिए बहुत महंगा पड़ रहा है। इसको देखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों से धान की खेती नहीं करने का आग्रह तक कर दिया और धान की खेती छोडक़र अन्य फसल उत्पादन करने पर 7 हजार रुपए प्रति एकड़ देने की घोषणा तक की। इसके अलावा अन्य फसलों को उगाने वाले किसानों को अतिरिक्त पानी देने की पेशकश की गई।सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1इन सब बातों को देखकर आज आवश्यकता ऐसे सिंचाई यंत्रों का चुनाव करने की है जो पानी की बचत के साथ ही उत्पादन को भी बढ़ाने में सहायक हो। इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्राप मोर-माइक्रोइरीगेश कार्यक्रम किसानों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है।इस योजना के तहत किसानों ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए सरकार इन यंत्रों को खरीदने के लिए अनुदान भी देती है। ये अनुदान हर राज्य की राज्य सरकारों के हिसाब से अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है। फिलहाल अभी यह योजना उत्तरप्रदेश में चल रही है। इस योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्र हेतु लक्ष्य पूरे होने तक आवेदन किए जा सकते हैं।क्या प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाभारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू की गई है जिसके उपघटक पर ड्रॉप मोर क्राप-माइक्रोइरीगेशन कार्यक्रम के अन्तर्गत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को प्रभावी ढंग से विभिन्न फसलों में अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस सिंचाई पद्धति को अपनाकर 40-50 प्रतिशत पानी की बचत के साथ ही 35-40 प्रतिशत उत्पादन में वृद्धि एवं उपज के गुणवत्ता में सुधार संभव है।ड्रिप सिंचाई यंत्र की उपयोगिताटपक सिंचाई में पेड़ पौधों को नियमित जरुरी मात्रा में पानी मिलता रहता है ड्रिप सिंचाई विधि से उत्पादकता में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक लाभ मिलता है। इस विधि से 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इस विधि से ऊंची-नीची जमीन पर सामान्य रुप से पानी पहुंचता है। इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों के जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो अतिरिक्त पोषक तत्व बेकार नहीं जाता, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है। इस विधि में पानी सीधा जड़ों तक पहुंचाया जाता है और आस-पास की जमीन सूखी रहती है, जिससे खरपतवार भी नहीं पनपते हैं। ड्रिप सिंचाई में जड़ को छोडक़र सभी भाग सूखा रहता है, जिससे खरपतवार नहीं उगते हैं, निराई-गुड़ाई का खर्च भी बच जाता है।फव्वारा ( स्प्रिंकल ) सिंचाई यंत्रों की उपयोगितास्प्रिंकल विधि से सिंचाई में पानी को छिडक़ाव के रूप में किया जाता है, जिससे पानी पौधों पर बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है। पानी की बचत और उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकल विधि ज्यादा उपयोगी मानी जाती है। ये सिंचाई तकनीक ज्यादा लाभदायक साबित हो रहा है। चना, सरसों और दलहनी फसलों के लिए ये विधि उपयोगी मानी जाती है। सिंचाई के दौरान ही पानी में दवा मिला दी जाती है, जो पौधे की जड़ में जाती है। ऐसा करने पर पानी की बर्बादी नहीं होती।विधि से लाभ इस विधि से पानी वर्षा की बूदों की तरह फसलों पर पड़ता है, जिससे खेत में जलभराव नहीं होता है। जिस जगह में खेत ऊंचे-नीचे होते हैं वहां पर सिंचाई कर सकते हैं। इस विधि से सिंचाई करने पर मिट्टी में नमी बनी रहती है और सभी पौधों को एक समान पानी मिलता रहता है। इसमें भी सिंचाई के साथ ही उर्वरक, कीटनाशक आदि को छिडक़ाव हो जाता है। पानी की कमीं वाले क्षेत्रों में विधि लाभदायक साबित हो रही है।कितना मिलता है अनुदानअनुदान देता है विभाग टपक व फव्वारा सिंचाई के लिए लघु एवं सीमांत किसान को 90 फीसदी अनुदान सरकार की तरफ से दिया जाता है। इसमें 50 प्रतिशत केंद्रांश व 40 फीसदी राज्यांश शामिल है। दस फीसदी धनराशि किसानों को लगानी होती है। सामान्य किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। 25 प्रतिशत किसानों को अपनी पूंजी लगानी होती है।किसान अपनी कोई भी पसंदीदा कंपनी से खरीद सकता है यंत्रप्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्राप मोर-माइक्रोइरीगेश कार्यक्रम के तहत लघु सीमांत किसानों को 90 प्रतिशत का और सामान्य किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान डीबीटी के द्वारा दिया जाता है। चयनित होने के बाद किसान किसी भी अपनी पसंदीदा कंपनी से खरीददारी कर सकता है। स्प्रिंकलर पोर्टेबल और रैन गन के लिए किसान को पहले अपनी जेब से पैसा लगाना होगा। इसके बाद बिल और बाउचर विभाग में सम्मिट करने पर अनुदान की धनराशि किसान के खाते में दी जाती है।प्रशिक्षण, कार्यशाला व गोष्ठी का आयोजनयोजनान्तर्गत लाभार्थी कृषकों के लिए समय-समय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण, प्रदेश से बाहर कृषक भ्रमण एवं मंडल स्तर पर कार्यशाला / गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। इस विधा के अंगीकरण हेतु लाभार्थी कृषकों के लिए तकनीकी जानकारी एवं कौशल अभिवृद्धि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।योजना का कार्यक्षेत्रउत्तर प्रदेश के सभी जनपद योजना से आच्छादित हैं । प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अतिदोहित (111 विकास खण्ड) क्रिटिकल (68 विकास खण्ड) सेमी क्रिटिकल (82 विकास खण्ड) के अतिरिक्त पर ड्रॉप मोर क्रोप के अदर इन्टरवेन्शन में निर्मित/जीर्णोद्धार किए गए तालाबों के क्लस्टर सम्मिलित हैं।योजना के लाभार्थी / पात्रतायोजना का लाभ सभी वर्ग के कृषकों के लिए अनुमन्य है।योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु इच्छुक कृषक के पास स्वयं की भूमि एवं जल स्रोत उपलब्ध हों।योजना का लाभ सहकारी समिति के सदस्यों, सेल्फ हेल्प गु्रप, इनकार्पोरेटेड कम्पनीज, पंचायती राज संस्थाओं, गैर सहकारी संस्थाओं, ट्रस्ट्स, उत्पादक कृषकों के समूह के सदस्यों को भी अनुमन्य।ऐसे लाभार्थियों / संस्थाओं को भी योजना का लाभ अनुमन्य होगा जो संविदा खेती (कान्टै्क्ट फार्मिंग) अथवा न्यूनतम 7 वर्ष के लीज एग्रीमेन्ट की भूमि पर बागवानी/खेती करते हैं।एक लाभार्थी कृषक/संस्था को उसी भू-भाग पर दूसरी बार 7 वर्ष के पश्चात् ही योजना का लाभ अनुमन्य होगा।लाभार्थी कृषक अनुदान के अतिरिक्त अवशेष धनराशि स्वयं के स्रोत से अथवा ऋण प्राप्त कर वहन करने हेतु सक्षम व सहमत हों।योजना के लिए कैसे कराएं पंजीकरणइच्छुक लाभार्थी कृषक किसान पारदर्शी योजना के पोर्टल http://upagriculture.com/ पर अपना पंजीकरण कराकर प्रथम आवक प्रथम पावक के सिंद्धात पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।पंजीकरण हेतु किसान के पहचान हेतु आधार कार्ड, भूमि की पहचान हेतु खतौनी एवं अनुदान की धनराशि के अन्तरण हेतु बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की छाया प्रति अनिवार्य है।निर्माता फर्मों का चयनप्रदेश में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित करने वाली पंजीकृत निर्माता फर्मां में से किसी भी फर्म से कृषक अपनी इच्छानुसार आपूर्ति/स्थापना का कार्य कराने के लिए स्वतंत्र हैं।निर्माता फर्मों अथवा उनके अधीकृत डीलर/डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा बी.आई.एस.
Ranging from 20.9-62.0 HP, Kubota compact tractors are ideal for everything from estate maintenance chores to commercial landscaping and small farming.

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